Thursday 29 March 2012

GURUPURNIMA

हे मेरे दाता !
हे मेरे ब्रम्हा !
हे मेरे स्थिति के कर्ता !
हे मेरे साईं ! 
हे मेरे ; जिनसे मेरा जीवन है !
हे मेरे द्रष्टा ; धाता ; निर्माता एवं नियंता ! 

आपके पुणित चरणों में मेरे जीवनसार को अर्पण कर्ता हु...
सर्वदा ; सर्वथा एवं सर्वत्र बस आपका जयकार ही गाऊ यही तमन्ना लेके.......

आपके छोटे बालक 
प्रविण का साष्टांग दंडवत !.....


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