विदग्धाजीर्ण
हमेशा कोई भी कहता है की आयुर्वेदसे गुण आने में थोडा जादा टाइम लगता है . पर मै ये कभी नहीं मानता .
परसों दि. १९/०७/२०१० को एक रुग्ण मेरे पास आया .उसका इति वृत्तांत कुच्छ इस प्रकार है ….
प्रधान लक्षण –
दौर्बल्य ++++
ज्वर प्रचिती ( केवल प्रचिती. ज्वर नहीं था)
पाद दाह
उदर दाह
मूत्र प्रवृत्ति स- दाह
आनाह
हेतु – श्रीखंड सेवन , दधि सेवन
प्रकृति – पित्तप्रधान वात
नाडी – उदानावृत्त प्राण
जिव्हा - साम ( ग्रहणी प्रदेशे)
मेरा निदान – विदग्ध अजीर्ण ( तदनंतर दोष विमार्गगमन )......
http://ayurvedaconsultants.com/caseshow.aspx?ivalue=engoogle2400
हमेशा कोई भी कहता है की आयुर्वेदसे गुण आने में थोडा जादा टाइम लगता है . पर मै ये कभी नहीं मानता .
परसों दि. १९/०७/२०१० को एक रुग्ण मेरे पास आया .उसका इति वृत्तांत कुच्छ इस प्रकार है ….
प्रधान लक्षण –
दौर्बल्य ++++
ज्वर प्रचिती ( केवल प्रचिती. ज्वर नहीं था)
पाद दाह
उदर दाह
मूत्र प्रवृत्ति स- दाह
आनाह
हेतु – श्रीखंड सेवन , दधि सेवन
प्रकृति – पित्तप्रधान वात
नाडी – उदानावृत्त प्राण
जिव्हा - साम ( ग्रहणी प्रदेशे)
मेरा निदान – विदग्ध अजीर्ण ( तदनंतर दोष विमार्गगमन )......
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