DUNIYA MEIN HUM AAYE HAI TOH JEENAA HI PADEGA...
DEAR डॉ.दिवाकरजी का यह केस पढके फिर कबीरजी के एक दोहे की याद आई...
अपने कर्म की गति मैं क्या जानू ? मैं क्या जानू ?बाबा रे || २||
नर मरे किछु काम न आवे
पशु मरे दस कांझ सवारे || २||
अपने कर्म की गति मैं क्या जानू ? मैं क्या जानू ?बाबा रे || २||
हाड़ जले जैसे लकड़ी का तुला |
केश जले जैसे घांस का पुला ||२||
अपने कर्म की गति मैं क्या जानू ? मैं क्या जानू ?बाबा रे || २||.....
http://ayurvedaconsultants.com/caseshow.aspx?ivalue=engoogle2396
DEAR डॉ.दिवाकरजी का यह केस पढके फिर कबीरजी के एक दोहे की याद आई...
अपने कर्म की गति मैं क्या जानू ? मैं क्या जानू ?बाबा रे || २||
नर मरे किछु काम न आवे
पशु मरे दस कांझ सवारे || २||
अपने कर्म की गति मैं क्या जानू ? मैं क्या जानू ?बाबा रे || २||
हाड़ जले जैसे लकड़ी का तुला |
केश जले जैसे घांस का पुला ||२||
अपने कर्म की गति मैं क्या जानू ? मैं क्या जानू ?बाबा रे || २||.....
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