Sunday, 1 April 2012

VIRECHAN-AYOG

३७ वर्षीया स्त्री को ३ माह से पैतिक रोगों की शिकायत रहती थी| जैसे अम्लपित्त, ज्वर इ. रुग्ना को १५ दिनपूर्व वमन हुआ था अतः मैंने उस रुग्ना को विरेचन देना ठीक समझा| रुग्ना माध्यम कोष्ठ की थी अतः मैंने ५ दिन स्नेहापन कराया और सम्यक स्नेह लक्षण भी आये| विरचन के लिए मैंने रुग्ना को एरंदा तेल का पान कराया - , मात्रा ३० ml दी थी| रुग्ना को ६ वेग आये इसलिए मैंने मात्रा बढ़ाने का सोचा परन्तु रुग्ना स्नेहोद्वेग से उसलिये तयार नहीं हुई| दुसरे दिन रुग्ना को शिर्शुल और ह्रुल्लास ये लक्षण दिखाई दिए| मुझे ये विरेचन का योग लगा और मैंने उस रुगना को बाकि पंचकर्म उपचार के लिए तैयार न होने से सूतशेखर रस और कामदुधा और उदरशूल होने पर शंख वटी दी| इससे उस रुग्ना को उपशय मिला परन्तु २-३ दिन पश्चात् रुग्ना को मंद ज्वर आने लग गया| अतः मैंने उसे अमृतारिष्ट लेने के लिए कहा रुग्ना को उपशय मिला परन्तु पुन: पुन: ज्वर आता है | ......


http://ayurvedaconsultants.com/caseshow.aspx?ivalue=engoogle2421

No comments:

Post a Comment